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भारत के साथ 1971 के युद्ध के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन क्यों किया था? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबजैसा कि आप जानते हैं कि साल 1971 से पहले तक बांग्लादेश पाकिस्तान का ही एक हिस्सा था,जिसे पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था ! जहाँ की भाषा बांग्ला थी ! इसलिए पश्चिमी पाकिस्तान का इनसे ज्यादा कोई रिस्ता नहीं रहता था, जिसके कारण पूर्वी पाकिस्तान के लोगो को सरकार मे कोई ज्यादा दखल या हिस्सा नहीं लेने देते पश्चिमी पाकिस्तानी लोग !🎯 इसलिए पूर्वी पाकिस्तान के हिस्सै मे हमेशा नाइंसाफी होती थी जिससे पूर्वी पाकिस्तान का उन्नति रुक सी गयी थी ! इसी कारण वश पूर्वी पाकिस्तान के लोगो मे नफ़रत हो गयी थी पश्चिम वालो से !! इसी कारण वहा अलगाव की राजनीती शुरू हो गयी थी जो बड़ा भयानक रूप ले ली थी !🎯 इसी अलगाव को रोकने के लिए कई ओपरेशम चलाये गए थे पूर्वी पाकिस्तान मे !🎯 इस विद्रोह को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया गया था ! और उस बल ने बांग्लादेश की महिलाओ का बलात्कार पे बलात्कार किये जा रहे थे, पाकिस्तानी सैनिको ने सिविल एरिया मे घुस घुस कर औरतों के इज्जत को तार तार कर रहे थे 😔🎯 भारत से देखा नहीं जा रहा था !🎯 ऐसी स्थित से पूर्व भारत मे पूर्वी पाकिस्तानियो के लोगो का शरणस्थली के रूप मे बढ़ता जा रहा था जो एक खतरा था भारत के लिए !!!🎯 लोगो का भारत मे अवैध रूप से बढ़ना जारी रहा🎯 इस भयानक स्थित को रोकने के लिए भारत ने सैन्य ऑपरेशन चलाया था जिसमे उस वक्त के अमेरिकन राष्ट्रपति ने अपनी टांग अड़ानी चाही थी, बात उस वक्त की हैँ जब अमेरिका के राष्ट्र पति निक्सन थे, इन्होने बंगाल की खाड़ी मे अपनी युद्ध पोत भेज दी थी जब इनको भनक लगी की इसमें भारत काफी इंटरेस्ट ले रहा हैँ ! डर था की ऐसा करके उस जगह सोवियत रूस का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा, उस वक्त की भारत की PM इंदिरा गाँधी थी जो देश के हित को ध्यान मे रखकर अमेरिकी राष्ट्र पति को सन्देश भी दिया था की स्थित भारत के लिए भयानक होता जा रहा हैँ,🎯 लेकिन स्थिति काफी भयानक होती ही जा रही थी, लोगो का भागकर भारत मे आना जारी रहा !🎯 लेकिन अमेरिकन राष्ट्रपति निक्सनको इस बात की भनक लग चुकी थी कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ जंग कि तैयारी कर चूका हैँ🎯 दरअसल अमेरिका, पाकिस्तान के साथ सेनटो और सिएटो संधि के तहत जुड़ा हुआ था ! अमेरिका को डर था कि अगर युद्ध हुआ और भारत जीत गया तो उनके समर्थन से एशिया में सोवियत संघ का विस्तार और बढ़ जाएगा, जैसा ऊपर भी लिखा गया हैँ !🎯 28 मार्च, 1971 को अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट विल रोजर को पाकिस्तान से एक सन्देश आया कि हमारी सरकार देश में पूर्वी हिस्से में फैली असंतुलन की स्थिति को काबू करने में पूरी तरह से फेल हो गई है !🎯 ऐसे मे अमेरिका को पूरा विश्वाश हो चला था कि जंग तो पक्का हैँ !🎯 इसलिए अमेरिका ने पाकिस्तान के ही जरिये चीन को भी जंग मे लेना चाहा !🎯 और हमले के लिए युद्ध पोत भेज दिए थे🎯 दरअसल भारत इस बात से बेखबर था कि अमेरिका उसे इस मुद्दे पर भारत को घेर रहा था, जिसे इंदिरा गाँधी निक्सन के पास गयी भी थी इस मुद्दे को लेकर, बंगालियों की स्थिति को बताया और स्थित को सुधारने के लिए हस्तक्षेप करने की गुजारिश भी की थी !🎯 एक तो अमेरिका, ऊपर से भारत रूस की दोस्ती का जलन, तीसरा रूस का बढ़त अमेरिका को नागवार था, इस लिए निक्सन ने बिना कोई मदद के साफ इनकार कर दिया था जिससे इंदिरा के पास युद्ध के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था !🎯 बाद मे भारत ने बंगाल की खाड़ी मे अपने युद्ध पोत (विक्रांत) तैयार खड़े कर दिए थे🎯 इसी बीच जब तक भारत युद्ध का एलान करता खुद पाकिस्तान ने 3 Dec. को भारत पर हमला कर दिया था, अक्सर देखा गया हैँ छोटे देशो मे अक्सर धैर्य की कमी रही हैँ 🤔🎯 धैर्य देखना हैँ तो भारत का देखिये (जो बड़ा देश की बात करी हैँ )चीन चाहता हैँ और खूब उकसा भी रहा भारत को कि भारत पहले युद्ध के लिए वॉर करें लद्दाख वाले केश मे !! जो कि भारत ऐसा करने से रहा 😃🎯 भारत को भी इसका अंदाजा लग चूका था जिसको देखते हुए पूरी तरह से तैयार था भारत और भारत भी एलान कर दिया🎯 जब अमेरिका को पता चला तो आनन फानन मे अपना युद्ध पोत (USS एंटरप्राइसेस)बंगाल की खाड़ी भेज दिया और उसको लगा इसके जरिये वह भारत को धमका कर आत्म समर्पण करवा लेगा🎯 10 dec को अमेरिका का यह सन्देश पकड़ा गया की उसका USS इंटरप्राइजेज अपनी जगह पहुंच गया हैँ🎯 जवाब मे भारतीय नेवी ने अपना युद्ध पोत विक्रांत मैदान मे उतार दिया जो USA के USS इंटरप्राइजेज को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार खड़ा मिला🎯 एक बात और थी यहाँ ब्रिटिश भी हमारे खिलाफ थे, जो की उनका भी एक युद्ध पोत (ईगल) भारतीय महाद्वीप की और बढ़ रहा था🎯 इसके बाउजूद भारत घबराया नहीं धैर्य से ही सही, और इंडो- सोवियत सन्धि के तहत भारत सोवियत रूस से मदद मांगी🎯 तारीख़ 13 दिसंबर को एडमिरल व्लादिमीर करुपलयाकोव के नेतृत्व में सोवियत संघ 🇦🇲 ने न्यूक्लियर हथियारों से लैस युद्धपोत और सबमरीन भेज दी थी ! बूम !बाल वनिता महिला आश्रम🎯 इसी बात का ब्रिटिश को भनक लगते ही, की भारत अकेला नहीं रूस भी है भारत के साथ, उलटे पाव भाग खड़े हुए 😃🎯 इसके साथ ही अमेरिका भी अपनी सेना वापस बुला ली थी 😃🎯 इसी बीच भारत द्वारा अलग दस्तावेज पारित हुआ जो पूर्वी पाकिस्तान का नाम बांग्लादेश रखा गया एक अलग देश के रूप मे, और बांग्लादेश देश का उदय हुआ 🇧🇩🇧🇩🇧🇩🎯 भारत अपनी पूरी ताकत से लड़ा और लड़ते हुए लाहौर के राश्ते पाकिस्तान मे दाखिल हो गयी थी भारतीय सेना🎯 भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान का रक्षा कमजोर हो रहा था इसी को देखते हुए पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने 14 dec को अमेरिकी उच्चायुक्त को संदेह भेजा की वो आत्म समर्पण करना चाहते है जो वाशिंगटन होते हुए बात दिल्ली पहुंची🎯 और तब भारतीय सेना को तुरंत आगे बढ़ने से रोक दिया गया और फिर आत्म समर्पण करवाया गया पाकिस्तानी सेना से..🎯 इस समर्पण से एक नये देश जा उदय हुआ जो बांग्लादेश के नाम से जाना गया 🇧🇩🇧🇩🇧🇩🎯 इस लड़ाई से सवसे महत्वपूर्ण बात जो सामने आयी वो ये था की भारत के ताकत का नमूना चीन, पाकिस्तान, ब्रिटिश और USA को हो चला था, जिसका असर आज भी है इन सब पर🎯 ताकत का मतलब सिर्फ ताकत नहीं, "धैर्य और दिमाग़ "का होना बेहद जरुरी था जो भारत के पास तो था ही पर इनके पास नहीं था 😃🎯 भारत 🇮🇳 ने अपनी सूझ बुझ के बदौलत दक्षिण एशिया मे एक ताकतवर देश बनकर उभरा 💪👉अमेरिका की न सही पर उस नासमझ राष्ट्रपति निक्सन की थी जो भारत जैसे देश को छोड़कर पाकिस्तान की ओर चला गया जो आज भी USA को पछतावा के सिवा और कुछ नहीं दे रहा बसर्ते USA के लिए नहीं वरन पूरा विश्व के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है जबकि भारत और भी विश्व हमदर्द बनता जा रहा है 😃👉अलग बात ये हुआ कि…🎯 एक बात ये जरूर यहाँ कहना चाहुँगा की चाइना के पीछे रूस का कुछ ना कुछ हाथ जरूर है चाहे वो इंडिया के खिलाफ ना हो पर नुकसान इंडिया का भी हुआ है जिसकी कीमत रूस को सायद ना रहा हो वो ऐसे की जब चीन और इंडिया की बात आती है तो रूस कभी नहीं बोला जिससे इंडिया को रूस से थोड़ी दूरी बनानी पड़ी जो अमेरिका के नज़दीक होना पड़ावरना कितने दिनों तक साथ रहा हिंदुस्तान रूस के ! और हर हथियार को रूस से खरीदता रहा, चाहे जो भी दाम लगाता, हिंदुस्तान देता रहा, लेकिन दूरिया तब ज्यादा बढ़ गया जब हिंदुस्तान रूस को कहने पर मजबूर हुआ की चीन पर जोर दे की वो हिंदुस्तान का विरोध NSG (नुक्लेअर सप्लायर ग्रुप) पर न कर समर्थन करे, लेकिन ऐसा हो न सका जो रूस चाहता तो हो सकता था 🎯🎯 फिरभी इंडिया अब भी रूस से आश लगाए हुए है कि रूस का दबाव रंग लाएगा चीन पर इसी आश के सहारे हिंदुस्तान पूरी तरह से अमेरिका के साथ जाने से अभी भी कतरा रहा है ! जिसके पीछे भारत की जबर्दस्त कूटनीति रही🎯 इसीलिए जय शंकर प्रसाद का यह कहना कि अमेरिका को चीन और पाकिस्तान की अपेक्षा समझने मे 6 दशक लग गए, अमेरिकन कैलकुलस का जिक्र करके ब्यंग्य भी कसा था (प्रमाण के लिए विदेश मंत्री जयशंकर जी की ट्वीट देख सकते हैँ )🎈🎈 यह सब कारण रहा कि अमेरिका 1971 मे भारत के साथ न रह सका !!!🎈🎈👉चित्र स्रोत : गूगल और अन्य के सहयोग से!! आपने समय दिया उसके लिए आभार !!धन्यवाद ! दिन शुभ हो !! 🙏🙏

जैसा कि आप जानते हैं कि साल 1971 से पहले तक बांग्लादेश पाकिस्तान का ही एक हिस्सा था,जिसे पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था ! जहाँ की भाषा बांग्ला थी ! इसलिए पश्चिमी पाकिस्तान का इनसे ज्यादा कोई रिस्ता नहीं रहता था, जिसके कारण पूर्वी पाकिस्तान के लोगो को सरकार मे कोई ज्यादा दखल या हिस्सा नहीं लेने देते पश्चिमी पाकिस्तानी लोग !

🎯 इसलिए पूर्वी पाकिस्तान के हिस्सै मे हमेशा नाइंसाफी होती थी जिससे पूर्वी पाकिस्तान का उन्नति रुक सी गयी थी ! इसी कारण वश पूर्वी पाकिस्तान के लोगो मे नफ़रत हो गयी थी पश्चिम वालो से !! इसी कारण वहा अलगाव की राजनीती शुरू हो गयी थी जो बड़ा भयानक रूप ले ली थी !

🎯 इसी अलगाव को रोकने के लिए कई ओपरेशम चलाये गए थे पूर्वी पाकिस्तान मे !

🎯 इस विद्रोह को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया गया था ! और उस बल ने बांग्लादेश की महिलाओ का बलात्कार पे बलात्कार किये जा रहे थे, पाकिस्तानी सैनिको ने सिविल एरिया मे घुस घुस कर औरतों के इज्जत को तार तार कर रहे थे 😔

🎯 भारत से देखा नहीं जा रहा था !

🎯 ऐसी स्थित से पूर्व भारत मे पूर्वी पाकिस्तानियो के लोगो का शरणस्थली के रूप मे बढ़ता जा रहा था जो एक खतरा था भारत के लिए !!!

🎯 लोगो का भारत मे अवैध रूप से बढ़ना जारी रहा

🎯 इस भयानक स्थित को रोकने के लिए भारत ने सैन्य ऑपरेशन चलाया था जिसमे उस वक्त के अमेरिकन राष्ट्रपति ने अपनी टांग अड़ानी चाही थी, बात उस वक्त की हैँ जब अमेरिका के राष्ट्र पति निक्सन थे, इन्होने बंगाल की खाड़ी मे अपनी युद्ध पोत भेज दी थी जब इनको भनक लगी की इसमें भारत काफी इंटरेस्ट ले रहा हैँ ! डर था की ऐसा करके उस जगह सोवियत रूस का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा, उस वक्त की भारत की PM इंदिरा गाँधी थी जो देश के हित को ध्यान मे रखकर अमेरिकी राष्ट्र पति को सन्देश भी दिया था की स्थित भारत के लिए भयानक होता जा रहा हैँ,

🎯 लेकिन स्थिति काफी भयानक होती ही जा रही थी, लोगो का भागकर भारत मे आना जारी रहा !

🎯 लेकिन अमेरिकन राष्ट्रपति निक्सन

को इस बात की भनक लग चुकी थी कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ जंग कि तैयारी कर चूका हैँ

🎯 दरअसल अमेरिका, पाकिस्तान के साथ सेनटो और सिएटो संधि के तहत जुड़ा हुआ था ! अमेरिका को डर था कि अगर युद्ध हुआ और भारत जीत गया तो उनके समर्थन से एशिया में सोवियत संघ का विस्तार और बढ़ जाएगा, जैसा ऊपर भी लिखा गया हैँ !

🎯 28 मार्च, 1971 को अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट विल रोजर को पाकिस्तान से एक सन्देश आया कि हमारी सरकार देश में पूर्वी हिस्से में फैली असंतुलन की स्थिति को काबू करने में पूरी तरह से फेल हो गई है !

🎯 ऐसे मे अमेरिका को पूरा विश्वाश हो चला था कि जंग तो पक्का हैँ !

🎯 इसलिए अमेरिका ने पाकिस्तान के ही जरिये चीन को भी जंग मे लेना चाहा !

🎯 और हमले के लिए युद्ध पोत भेज दिए थे

🎯 दरअसल भारत इस बात से बेखबर था कि अमेरिका उसे इस मुद्दे पर भारत को घेर रहा था, जिसे इंदिरा गाँधी निक्सन के पास गयी भी थी इस मुद्दे को लेकर, बंगालियों की स्थिति को बताया और स्थित को सुधारने के लिए हस्तक्षेप करने की गुजारिश भी की थी !

🎯 एक तो अमेरिका, ऊपर से भारत रूस की दोस्ती का जलन, तीसरा रूस का बढ़त अमेरिका को नागवार था, इस लिए निक्सन ने बिना कोई मदद के साफ इनकार कर दिया था जिससे इंदिरा के पास युद्ध के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था !

🎯 बाद मे भारत ने बंगाल की खाड़ी मे अपने युद्ध पोत (विक्रांत) तैयार खड़े कर दिए थे

🎯 इसी बीच जब तक भारत युद्ध का एलान करता खुद पाकिस्तान ने 3 Dec. को भारत पर हमला कर दिया था, अक्सर देखा गया हैँ छोटे देशो मे अक्सर धैर्य की कमी रही हैँ 🤔

🎯 धैर्य देखना हैँ तो भारत का देखिये (जो बड़ा देश की बात करी हैँ )चीन चाहता हैँ और खूब उकसा भी रहा भारत को कि भारत पहले युद्ध के लिए वॉर करें लद्दाख वाले केश मे !! जो कि भारत ऐसा करने से रहा 😃

🎯 भारत को भी इसका अंदाजा लग चूका था जिसको देखते हुए पूरी तरह से तैयार था भारत और भारत भी एलान कर दिया

🎯 जब अमेरिका को पता चला तो आनन फानन मे अपना युद्ध पोत (USS एंटरप्राइसेस)

बंगाल की खाड़ी भेज दिया और उसको लगा इसके जरिये वह भारत को धमका कर आत्म समर्पण करवा लेगा

🎯 10 dec को अमेरिका का यह सन्देश पकड़ा गया की उसका USS इंटरप्राइजेज अपनी जगह पहुंच गया हैँ

🎯 जवाब मे भारतीय नेवी ने अपना युद्ध पोत विक्रांत मैदान मे उतार दिया जो USA के USS इंटरप्राइजेज को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार खड़ा मिला

🎯 एक बात और थी यहाँ ब्रिटिश भी हमारे खिलाफ थे, जो की उनका भी एक युद्ध पोत (ईगल) भारतीय महाद्वीप की और बढ़ रहा था

🎯 इसके बाउजूद भारत घबराया नहीं धैर्य से ही सही, और इंडो- सोवियत सन्धि के तहत भारत सोवियत रूस से मदद मांगी

🎯 तारीख़ 13 दिसंबर को एडमिरल व्लादिमीर करुपलयाकोव के नेतृत्व में सोवियत संघ 🇦🇲 ने न्यूक्लियर हथियारों से लैस युद्धपोत और सबमरीन भेज दी थी ! बूम !

बाल वनिता महिला आश्रम

🎯 इसी बात का ब्रिटिश को भनक लगते ही, की भारत अकेला नहीं रूस भी है भारत के साथ, उलटे पाव भाग खड़े हुए 😃

🎯 इसके साथ ही अमेरिका भी अपनी सेना वापस बुला ली थी 😃

🎯 इसी बीच भारत द्वारा अलग दस्तावेज पारित हुआ जो पूर्वी पाकिस्तान का नाम बांग्लादेश रखा गया एक अलग देश के रूप मे, और बांग्लादेश देश का उदय हुआ 🇧🇩🇧🇩🇧🇩

🎯 भारत अपनी पूरी ताकत से लड़ा और लड़ते हुए लाहौर के राश्ते पाकिस्तान मे दाखिल हो गयी थी भारतीय सेना

🎯 भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान का रक्षा कमजोर हो रहा था इसी को देखते हुए पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने 14 dec को अमेरिकी उच्चायुक्त को संदेह भेजा की वो आत्म समर्पण करना चाहते है जो वाशिंगटन होते हुए बात दिल्ली पहुंची

🎯 और तब भारतीय सेना को तुरंत आगे बढ़ने से रोक दिया गया और फिर आत्म समर्पण करवाया गया पाकिस्तानी सेना से..

🎯 इस समर्पण से एक नये देश जा उदय हुआ जो बांग्लादेश के नाम से जाना गया 🇧🇩🇧🇩🇧🇩

🎯 इस लड़ाई से सवसे महत्वपूर्ण बात जो सामने आयी वो ये था की भारत के ताकत का नमूना चीन, पाकिस्तान, ब्रिटिश और USA को हो चला था, जिसका असर आज भी है इन सब पर

🎯 ताकत का मतलब सिर्फ ताकत नहीं, "धैर्य और दिमाग़ "का होना बेहद जरुरी था जो भारत के पास तो था ही पर इनके पास नहीं था 😃

🎯 भारत 🇮🇳 ने अपनी सूझ बुझ के बदौलत दक्षिण एशिया मे एक ताकतवर देश बनकर उभरा 💪

👉अमेरिका की न सही पर उस नासमझ राष्ट्रपति निक्सन की थी जो भारत जैसे देश को छोड़कर पाकिस्तान की ओर चला गया जो आज भी USA को पछतावा के सिवा और कुछ नहीं दे रहा बसर्ते USA के लिए नहीं वरन पूरा विश्व के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है जबकि भारत और भी विश्व हमदर्द बनता जा रहा है 😃

👉अलग बात ये हुआ कि…

🎯 एक बात ये जरूर यहाँ कहना चाहुँगा की चाइना के पीछे रूस का कुछ ना कुछ हाथ जरूर है चाहे वो इंडिया के खिलाफ ना हो पर नुकसान इंडिया का भी हुआ है जिसकी कीमत रूस को सायद ना रहा हो वो ऐसे की जब चीन और इंडिया की बात आती है तो रूस कभी नहीं बोला जिससे इंडिया को रूस से थोड़ी दूरी बनानी पड़ी जो अमेरिका के नज़दीक होना पड़ा

वरना कितने दिनों तक साथ रहा हिंदुस्तान रूस के ! और हर हथियार को रूस से खरीदता रहा, चाहे जो भी दाम लगाता, हिंदुस्तान देता रहा, लेकिन दूरिया तब ज्यादा बढ़ गया जब हिंदुस्तान रूस को कहने पर मजबूर हुआ की चीन पर जोर दे की वो हिंदुस्तान का विरोध NSG (नुक्लेअर सप्लायर ग्रुप) पर न कर समर्थन करे, लेकिन ऐसा हो न सका जो रूस चाहता तो हो सकता था 🎯

🎯 फिरभी इंडिया अब भी रूस से आश लगाए हुए है कि रूस का दबाव रंग लाएगा चीन पर इसी आश के सहारे हिंदुस्तान पूरी तरह से अमेरिका के साथ जाने से अभी भी कतरा रहा है ! जिसके पीछे भारत की जबर्दस्त कूटनीति रही

🎯 इसीलिए जय शंकर प्रसाद का यह कहना कि अमेरिका को चीन और पाकिस्तान की अपेक्षा समझने मे 6 दशक लग गए, अमेरिकन कैलकुलस का जिक्र करके ब्यंग्य भी कसा था (प्रमाण के लिए विदेश मंत्री जयशंकर जी की ट्वीट देख सकते हैँ )

🎈🎈 यह सब कारण रहा कि अमेरिका 1971 मे भारत के साथ न रह सका !!!🎈🎈

👉चित्र स्रोत : गूगल और अन्य के सहयोग से

!! आपने समय दिया उसके लिए आभार !!

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