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भारतीय अधिराज्य By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦किसी अन्य भाषा में पढ़ेंडाउनलोड करेंध्यान रखेंसंपादित करेंभारत अधिराज्य, मौजूदा भारत(अर्थात् भारत गणराज्य) की संक्रमणकालीन अवस्था थी। यह ३ साल तक; १९४७ से १९५० में संविधान के प्रवर्तन तक, अस्तित्व में रही थी। यह मूल रूप से भारत में ब्रिटिश-उपनिवेशिक शासित अवस्था से स्वतंत्र, स्वायत्त, लोकतांत्रिक, भारतीय गणराज्य के बीच की अस्थाई शासन अथवा राज्य थी। इसे आधिकारिक रूप से हिंदी में भारत अधिराज्य एवं अंग्रेज़ी में डोमीनियन ऑफ़ इंडिया(अंग्रेज़ी: Dominion of India) कहा था। सन 15 August १९४७ में ब्रितानियाई संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधीनियम पारित होने के बाद, अधिकारिक तौर पर, यूनाईटेड किंगडम की सरकार ने भारत पर अपनी प्रभुता त्याग दी और भारत में स्वशासन अथवा स्वराज लागू कर दिया। इसके साथ ही ब्रिटिश भारत(ब्रिटिश-भारतिय उपनिवेष) का अंत हो गया और भारत कैनडा और ऑस्ट्रेलिया की ही तरह एक स्वायत्त्योपनिवेष(डोमीनियन) बन गय, (अर्थात ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वायत्त इकाई)। ब्रिटिश संसद के भारत-संबंधित सारे विधानाधिकारों को (1945 में गठित) भारत की संविधान सभा के अधिकार में सौंप दिया गया, भारत, ब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेश का सहपद सदस्य भी बन गया साथ ही ब्रिटेन के राजा ने भारत के सम्राट का शाही ख़िताब त्याग दिया। ब्रिटिश स्वायत्तयोपनिवेष एवं रष्ट्रमंडल प्रदेश का हिस्सा होने के नाते इंगलैंड के राजा ज्यौर्ज (षष्ठम) को भारत का राष्ट्राध्यक्ष बनाया गया एवं आन्य राष्ट्रमंडल देशों की तरह ही भारतीय लहज़े में उन्हें भारत के राजा की उपाधि से नवाज़ा गया(यह पद केवल नाम-मात्र एवं शिष्टाचार के लिये था), भारत में उनका प्रतिनिधित्व भारत के महाराज्यपाल(गवरनर-जनरल) के द्वारा ही होता था। 1950 में संविधान के लागू होने के साथ ही भारत एक पूर्णतः स्वतंत्र गणराज्य बन गया और साथ ही भारत के राजा के पद को हमेशा के लिये स्थगित कर दिया गया, और भारत के संविधान द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुने गए भारत के महामहिं राष्ट्रपति के पद से बदल दिया गया। इस बीच भारत में दो महाराज्यपालों को नियुक्त किया गया, महामहिं महाराज्यपाल लाॅर्ड माउण्टबेटन और महामहिं महाराज्यपाल चक्रवर्ती राजागोपालाचारी। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी इस अधिराज्य के अंतिम गवर्नर-जनरल थे।Dominion of India(डोमीनियन ऑफ़ इंडिया)भारतिय अधिराज्य← १९४७-१९५० → ध्वज कुलांकराष्ट्रगानजन गण मनशाही तरानागाॅड सेव द किंगअंग्रेज़ी: God save the Kingराजधानी नई दिल्लीशासन संवैधानिक राजतंत्रशासक - १९३६-१९५० जौर्ज (षष्ठम)गवर्नर-जनरल(महाराज्यपाल) - १९४७-१९४८ लाॅर्ड माउंटबैटन - १९४८-१९५० चक्रवर्ती राजागोपालाचारीप्रधानमंत्री, (पूर्वतः राज्यसचिव) - १९४७-१९५० जवाहरलाल नेहरूविधायिका संविधानसभाऐतिहासिक युग मध्य २०वीं सदी, शीत युद्ध - भारतिय स्वतंत्रता अधिनियम १५ अगस्त १९४७ - प्रथम भारत-पाक युद्ध १९४७ २२ अकटूवर १९४७ - संविधान का प्रवर्तन २६ जनवरी १९५०क्षेत्रफल - १९५० 32,87,263 किमी ² (एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह ","। वर्ग मील)मुद्रा भारतिय रुपयाWarning: Value specified for "continent" does not complyइतिहाससंपादित करेंमुख्य लेख: भारत का विभाजनभारत में ब्रिटिश-औपनिवेशिक-काल के दैरान स्वशासन व स्वराज की मांगें कई बार उठती रहीं पर ब्रिटिश सरकार ने इन मांगों को हर बार खारिज कर दिया व सारे आंदोलनों को बल द्वारा दबाने की कोशिश करती रही। परंतू 1920 के दशक में स्वराज के लिये शुरू हुए इस आंदोलन को पूर्ण-स्वराज में परिवर्तित होने में देर नहीं लगी। तमाम उतार-चढ़ावों के बाद करीब 30 वर्षों के बाद १९४७ अंग्रेज़ सरकार ने भारत को स्वराज प्रदान करने का फ़ैसला कर लिया। महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये गए नमक सत्याग्रह की सफ़लता व उसे मिले विशाल जनसमर्थन के बाद अंग्रेज़ सरकार समझ गई थी की भारत को ज़यादा समय तक अब विदेशी-नियंत्रण में रखना असंभव था, और स्वतंत्रता केवल समय की बात रह गई थी। कौंग्रेस द्वारा किये गए पूर्ण-स्वराज घोशणा, ब्रिटिश-भारतिय नौसेना का विद्रोह और द्वितीय विष्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन में आई आर्थिक-मंदी ने आखरी कील का काम किया। १९४७ में ब्रिटेन की संसद में भारतिय स्वतंत्रता अधीनियम के पारित होने के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारत पर अधिपत्यता त्याग दी और इसी के साथ भारत में स्वराज की स्थापना हुई। इसके बाद, ब्रिटिश कानूनन् प्रक्रिया के तहत भारत को ब्रिटिश-उपनिवेष से ब्रिटिश-स्वायत्तयोपनिवेष(डोमीनियन) का दरजा दे दिया गया। जिसके बाद, कानून तौर पर भारत एक स्वायत्तय एवं स्वतंत्र राष्ट्र बन गया एवं प्रक्रिया-स्वरूप भारत, ब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेश का हिस्सा बन गया और आन्य राष्ट्रमंडल प्रदेशों की तरह ब्रिटेन के राजा, जौर्ज षष्ठम को भारत का राष्ट्राध्यक्ष बना दिया गया, जिसके तहत भारतिय कानूनन् तैहज़े में उन्हें भारत के राजा का पारंपरिक एवं नम-मात्र के पद से सम्मानित किया गया। भारत में उनका प्रतिनिधित्व भारत के महाराज्यपाल(गवर्नर-जनरल) द्वारा होता था, जिन्हें "भारत के राजा" का सारा कार्याधिकार हासिल था। १९५० में संविधान को संविधानसभा की स्वीकृती मिल गई और २६ जनवरी १९५० को संविधान के परवर्तन के साथ ही भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बन गया और आधिराजकिय व्यवस्था को संविधान द्वारा गणराजकिय व्यवस्था से बदल दिया गया। भारत के राजा व महाराज्यप्ल के पद को समाप्त कर दिया गया एवं लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए भारत के महामहिं राष्ट्रपति को राष्ट्राध्यक्ष बना दिया गया।राजतंत्रिक व्यवस्था एवं कार्यप्रणालीसंपादित करेंभारत के गवर्नर-जनरल का व्यक्तिगत ध्वजअधिराजकीय राजतंत्रिक व्यवस्था में सारे स्वायत्त्योपनिवेशों (या अधिराज्य) का केवल एक ही नरेश एवं एक ही राजघराना होता है, अर्थात सारे अधिराज्यों पर एक ही व्यक्ति (सम्राट, नरेश राजा या शासक) का राज होता है। यह नरेश, हर एक अधिराज्य पर सामान्य अधिकार रखता है एवं हर अधिराज्य में संवैधानिक व कानूनन रूप से उसे राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा प्राप्त होता है। यह होने के बावजूद सारे अधिराज्य स्वतंत्र एवं तथ्यस्वरूप स्वतंत्र रहते हैं क्योंकि हर देश में अपनी खुद की स्वतंत्र सरकार होती है और नरेश का पद केवल परंपरागत एवं कथास्वरूप का होता है। शासक का संपूर्ण कार्यभार एवं कार्याधिकार उस देश के महाराज्यपाल के नियंत्रण मे रहता है जिसे तथ्यस्वरूप सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। इस तरह की व्यवस्था सार्थक रूप से ब्रिटिश साम्राज्य व ब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेशों(ब्रिटेन, कैनडा, ऑस्ट्रेलिया, अदि) व पूर्व ब्रिटिश अधिराज्यों की शासन प्रणाली में देखी जा सकती है। भारत में इस क्षणिक स्वयत्योपनिवेशिय काल में इसी तरह की शासन प्रणाली रही थी। इस बीच भारत में विधानपालिकी का पूरा कार्यभार संविधानसभा पर था व कार्यपालिका का मुखिया भारत के प्रधानमंत्री थे। इस बीच भारत पर केवल एक; राजा जाॅर्ज (षष्ठम) का राज रहा, एवं दो महारज्यपालों व एक प्रधानमंत्री की नियुक्ती हुई।भारत के नरेशों की सूचीसंपादित करेंविंज़र राजघरानातसवीर नाम जन्मतिथि मृत्युतिथि पदग्रहण की तिथि पदत्याग की तिथि विवरणKing George VI.jpg महाराज जाॅर्ज (षष्ठम) 14 दिसंबर 1895 6 फ़रवरी 1952 15 अगस्त 1947 26 जनवरी 1950 भारत के राजा पद के एकमात्र प्रभारीभारत के महाराज्यपालों की सूचीसंपादित करेंनाम चित्र पदग्रहण की तिथि पदत्याग की तिथि1 महामहिम महाराज्यपाल, विस्कांट, बर्मा के लाॅर्ड माउंटबैटन 15 अगस्त 1947 21 जून 19482 महामहिं महाराज्यपाल श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी C. Rajagopalachari 1948.jpg 21 जून 1948 26 जनवरी 1950भारत अधिराज्य के प्रधानमंत्रियों की सूचीसंपादित करेंनाम चित्र जन्मतिथि मृत्युतिथि कार्यालय - प्रवेश कार्यालय - त्याग राजनैतिक दलजवाहरलाल नेहरू Jnehru.jpg 14 नवम्बर 1889 27 मई 1964 15 अगस्त 1947 27 मई 1964 भारतिय राष्ट्रिय कांग्रेसइन्हें भी देखेंसंपादित करेंBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦पाकिस्तान अधिराज्यब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेशभारत का विभाजनअन्तरिम भारत सरकारस्वायत्तयोपनिवेशअधिराज्यब्रिटिश राष्ट्रमंडलसन्दर्भसंपादित करेंLast edited 1 month ago By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 2409:4063:4299:D1EB:0:0:E64:80ADRELATED PAGESराष्ट्रपतिपाकिस्तान अधिराज्यलंदन घोषणासामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो।गोपनीयता नीति उपयोग की शर्तेंडेस्कटॉप

भारत अधिराज्य, मौजूदा भारत(अर्थात् भारत गणराज्य) की संक्रमणकालीन अवस्था थी। यह ३ साल तक; १९४७ से १९५० में संविधान के प्रवर्तन तक, अस्तित्व में रही थी। यह मूल रूप से भारत में ब्रिटिश-उपनिवेशिक शासित अवस्था से स्वतंत्र, स्वायत्त, लोकतांत्रिक, भारतीय गणराज्य के बीच की अस्थाई शासन अथवा राज्य थी। इसे आधिकारिक रूप से हिंदी में भारत अधिराज्य एवं अंग्रेज़ी में डोमीनियन ऑफ़ इंडिया(अंग्रेज़ीDominion of India) कहा था। सन 15 August १९४७ में ब्रितानियाई संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधीनियम पारित होने के बाद, अधिकारिक तौर पर, यूनाईटेड किंगडम की सरकार ने भारत पर अपनी प्रभुता त्याग दी और भारत में स्वशासन अथवा स्वराज लागू कर दिया। इसके साथ ही ब्रिटिश भारत(ब्रिटिश-भारतिय उपनिवेष) का अंत हो गया और भारत कैनडा और ऑस्ट्रेलिया की ही तरह एक स्वायत्त्योपनिवेष(डोमीनियन) बन गय, (अर्थात ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वायत्त इकाई)। ब्रिटिश संसद के भारत-संबंधित सारे विधानाधिकारों को (1945 में गठित) भारत की संविधान सभा के अधिकार में सौंप दिया गया, भारतब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेश का सहपद सदस्य भी बन गया साथ ही ब्रिटेन के राजा ने भारत के सम्राट का शाही ख़िताब त्याग दिया। ब्रिटिश स्वायत्तयोपनिवेष एवं रष्ट्रमंडल प्रदेश का हिस्सा होने के नाते इंगलैंड के राजा ज्यौर्ज (षष्ठम) को भारत का राष्ट्राध्यक्ष बनाया गया एवं आन्य राष्ट्रमंडल देशों की तरह ही भारतीय लहज़े में उन्हें भारत के राजा की उपाधि से नवाज़ा गया(यह पद केवल नाम-मात्र एवं शिष्टाचार के लिये था), भारत में उनका प्रतिनिधित्व भारत के महाराज्यपाल(गवरनर-जनरल) के द्वारा ही होता था। 1950 में संविधान के लागू होने के साथ ही भारत एक पूर्णतः स्वतंत्र गणराज्य बन गया और साथ ही भारत के राजा के पद को हमेशा के लिये स्थगित कर दिया गया, और भारत के संविधान द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुने गए भारत के महामहिं राष्ट्रपति के पद से बदल दिया गया। इस बीच भारत में दो महाराज्यपालों को नियुक्त किया गया, महामहिं महाराज्यपाल लाॅर्ड माउण्टबेटन और महामहिं महाराज्यपाल चक्रवर्ती राजागोपालाचारी। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी इस अधिराज्य के अंतिम गवर्नर-जनरल थे।


Dominion of India
(डोमीनियन ऑफ़ इंडिया)
भारतिय अधिराज्य
 
१९४७-१९५० 
ध्वजकुलांक
राष्ट्रगान
जन गण मन
शाही तराना
गाॅड सेव द किंग
अंग्रेज़ीGod save the King
राजधानीनई दिल्ली
शासनसंवैधानिक राजतंत्र
शासक
 - १९३६-१९५०जौर्ज (षष्ठम)
गवर्नर-जनरल(महाराज्यपाल)
 - १९४७-१९४८लाॅर्ड माउंटबैटन
 - १९४८-१९५०चक्रवर्ती राजागोपालाचारी
प्रधानमंत्री, (पूर्वतः राज्यसचिव)
 - १९४७-१९५०जवाहरलाल नेहरू
विधायिकासंविधानसभा
ऐतिहासिक युगमध्य २०वीं सदी, शीत युद्ध
 - भारतिय स्वतंत्रता अधिनियम१५ अगस्त १९४७
 - प्रथम भारत-पाक युद्ध १९४७२२ अकटूवर १९४७
 - संविधान का प्रवर्तन२६ जनवरी १९५०
क्षेत्रफल
 - १९५०32,87,263 किमी ² (एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह ","। वर्ग मील)
मुद्राभारतिय रुपया
WarningValue specified for "continentdoes not comply

इतिहाससंपादित करें

भारत में ब्रिटिश-औपनिवेशिक-काल के दैरान स्वशासन व स्वराज की मांगें कई बार उठती रहीं पर ब्रिटिश सरकार ने इन मांगों को हर बार खारिज कर दिया व सारे आंदोलनों को बल द्वारा दबाने की कोशिश करती रही। परंतू 1920 के दशक में स्वराज के लिये शुरू हुए इस आंदोलन को पूर्ण-स्वराज में परिवर्तित होने में देर नहीं लगी। तमाम उतार-चढ़ावों के बाद करीब 30 वर्षों के बाद १९४७ अंग्रेज़ सरकार ने भारत को स्वराज प्रदान करने का फ़ैसला कर लिया। महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये गए नमक सत्याग्रह की सफ़लता व उसे मिले विशाल जनसमर्थन के बाद अंग्रेज़ सरकार समझ गई थी की भारत को ज़यादा समय तक अब विदेशी-नियंत्रण में रखना असंभव था, और स्वतंत्रता केवल समय की बात रह गई थी। कौंग्रेस द्वारा किये गए पूर्ण-स्वराज घोशणा, ब्रिटिश-भारतिय नौसेना का विद्रोह और द्वितीय विष्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन में आई आर्थिक-मंदी ने आखरी कील का काम किया। १९४७ में ब्रिटेन की संसद में भारतिय स्वतंत्रता अधीनियम के पारित होने के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारत पर अधिपत्यता त्याग दी और इसी के साथ भारत में स्वराज की स्थापना हुई। इसके बाद, ब्रिटिश कानूनन् प्रक्रिया के तहत भारत को ब्रिटिश-उपनिवेष से ब्रिटिश-स्वायत्तयोपनिवेष(डोमीनियन) का दरजा दे दिया गया। जिसके बाद, कानून तौर पर भारत एक स्वायत्तय एवं स्वतंत्र राष्ट्र बन गया एवं प्रक्रिया-स्वरूप भारत, ब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेश का हिस्सा बन गया और आन्य राष्ट्रमंडल प्रदेशों की तरह ब्रिटेन के राजा, जौर्ज षष्ठम को भारत का राष्ट्राध्यक्ष बना दिया गया, जिसके तहत भारतिय कानूनन् तैहज़े में उन्हें भारत के राजा का पारंपरिक एवं नम-मात्र के पद से सम्मानित किया गया। भारत में उनका प्रतिनिधित्व भारत के महाराज्यपाल(गवर्नर-जनरल) द्वारा होता था, जिन्हें "भारत के राजा" का सारा कार्याधिकार हासिल था। १९५० में संविधान को संविधानसभा की स्वीकृती मिल गई और २६ जनवरी १९५० को संविधान के परवर्तन के साथ ही भारत एक स्वतंत्र गणराज्य बन गया और आधिराजकिय व्यवस्था को संविधान द्वारा गणराजकिय व्यवस्था से बदल दिया गया। भारत के राजा व महाराज्यप्ल के पद को समाप्त कर दिया गया एवं लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए भारत के महामहिं राष्ट्रपति को राष्ट्राध्यक्ष बना दिया गया।

राजतंत्रिक व्यवस्था एवं कार्यप्रणालीसंपादित करें

भारत के गवर्नर-जनरल का व्यक्तिगत ध्वज

अधिराजकीय राजतंत्रिक व्यवस्था में सारे स्वायत्त्योपनिवेशों (या अधिराज्य) का केवल एक ही नरेश एवं एक ही राजघराना होता है, अर्थात सारे अधिराज्यों पर एक ही व्यक्ति (सम्राटनरेश राजा या शासक) का राज होता है। यह नरेश, हर एक अधिराज्य पर सामान्य अधिकार रखता है एवं हर अधिराज्य में संवैधानिक व कानूनन रूप से उसे राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा प्राप्त होता है। यह होने के बावजूद सारे अधिराज्य स्वतंत्र एवं तथ्यस्वरूप स्वतंत्र रहते हैं क्योंकि हर देश में अपनी खुद की स्वतंत्र सरकार होती है और नरेश का पद केवल परंपरागत एवं कथास्वरूप का होता है। शासक का संपूर्ण कार्यभार एवं कार्याधिकार उस देश के महाराज्यपाल के नियंत्रण मे रहता है जिसे तथ्यस्वरूप सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। इस तरह की व्यवस्था सार्थक रूप से ब्रिटिश साम्राज्य व ब्रिटिश-राष्ट्रमंडल प्रदेशों(ब्रिटेन, कैनडाऑस्ट्रेलिया, अदि) व पूर्व ब्रिटिश अधिराज्यों की शासन प्रणाली में देखी जा सकती है। भारत में इस क्षणिक स्वयत्योपनिवेशिय काल में इसी तरह की शासन प्रणाली रही थी। इस बीच भारत में विधानपालिकी का पूरा कार्यभार संविधानसभा पर था व कार्यपालिका का मुखिया भारत के प्रधानमंत्री थे। इस बीच भारत पर केवल एक; राजा जाॅर्ज (षष्ठम) का राज रहा, एवं दो महारज्यपालों व एक प्रधानमंत्री की नियुक्ती हुई।

भारत के नरेशों की सूचीसंपादित करें

विंज़र राजघराना
तसवीरनामजन्मतिथिमृत्युतिथिपदग्रहण की तिथिपदत्याग की तिथिविवरण
King George VI.jpgमहाराज जाॅर्ज (षष्ठम)14 दिसंबर 18956 फ़रवरी 195215 अगस्त 194726 जनवरी 1950भारत के राजा पद के एकमात्र प्रभारी

भारत के महाराज्यपालों की सूचीसंपादित करें

नामचित्रपदग्रहण की तिथिपदत्याग की तिथि
1महामहिम महाराज्यपाल, विस्कांट, बर्मा के लाॅर्ड माउंटबैटन15 अगस्त 194721 जून 1948
2महामहिं महाराज्यपाल श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारीC. Rajagopalachari 1948.jpg21 जून 194826 जनवरी 1950

भारत अधिराज्य के प्रधानमंत्रियों की सूचीसंपादित करें

नामचित्रजन्मतिथिमृत्युतिथिकार्यालय - प्रवेशकार्यालय - त्यागराजनैतिक दल
जवाहरलाल नेहरूJnehru.jpg14 नवम्बर 188927 मई 196415 अगस्त 194727 मई 1964भारतिय राष्ट्रिय कांग्रेस

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में आप इस सुन्दर घर के मुख्य गेट को देख सकते है.18घरों के लिए सामने गेट डिजाइन19मेन गेट डिजाइन फोटो को आप इन इमेज में देख सकते हैं.20मेन गेट डिजाइन फोटो को देखे.21Ghar ke main darvaje ki design photo22फेंसी और न्यू डिजाईन से मिक्स गेट को आप इस फोटो में देख सकते हैं.23सिंपल हैंडल ओपनिंग गेट डिजाईन आप देख सकते, यह डिजाईन आजकल खूब पसंद नहीं की जाती हैं.घर के मेन दरवाजे की डिजाइन25बहुत ही सुन्दर और आकर्षक गेट की डिजाईन को आप इस फोटो में देख सकते हैं. इस तरह की डिजाईन आजकल खूब पसंद की जाती हैं.27घर के बाहर के मेन गेट की डिजाइन28मजबूत और सुन्दर भाला रेलिंग के रूप में यह डिजाईन घर के मुख्य दरवाजे गेट के लिए पसंद की जा सकती हैं.29यह एक चादर गेट हैं, घर के लिए मुख्य दरवाजे के रूप में इसको पसंद किया जा सकता हैं.30चादर गेट डिजाइन31बीच में पतली चद्दर पट्टी का मुख्य गेट आपके दिल को खुश कर सकता हैं.चद्दर पाइपों से मिलकर बना यह गेट आपको खूब पसंद आ सकता हैं.33फैंसी लोहा गेट डिजाइन फोटो 34प्लेन सिंपल और हल्का आप इस मेन गेट को फोटो में दख सकते हैं.35बड़ा मेहराब आकर का यह गेट बहुत ही मजबूत होता हैं, इसका वजन लगभग 300 किलो तक होता हैं.36फैंसी गेट डिजाईन फोटो37लकड़ी लुक का सुन्दर मुख्य गेट आप इस फोटो में देख सकते हैं.38वाहन की एंट्री और घर के सदस्यों के लिए अलग अलग दो गेट बनाए जा सकते हैं. इसका फायदा यह हैं की बार बार बड़ा वाला गेट को खोलने की जरुरत नहीं होती हैं.नए जमाने के गेट डिजाईन39लकड़ी का बना हुआ यह गेट आपको खूब पसंद आएगा. अगर मुख्य दरवाजे पर लकड़ी का गेट बनाया जाता हैं, तो यह ध्यान रखना चाहिए कि लकड़ी वाटर प्रूफ हो.लोहे की चादर और सिंपल डिजाईन से बना गेट आप इस घर के मेन गेट पर देख सकते हैं.41नए घर के गेट42लोहे की सिंपल डिजाईन का गेट आप इस घर के मुख्य गेट में देख सकते हैं.43मकान के टावर की डिजाइन – Staircase Tower Design photo simple Homeदुनिया का सबसे ऊंचा बड़ा बिल्डिंग टावर इमारत (duniya ki sabse unchi building)43घर के लिए एंट्रेंस गेट डिजाईन फोटो44यहाँ बताये गए डिजाईन आपको अगर पसंद आये हो तो हमने मकान टावर और घर के समें की डिजाईन की फोटो डिजाईन भी अपलोड की हैं. आप उनको भी देख सकते हैं.45घर का बाहरी डिजाइन फोटो & गांव के घर का डिजाइन – Village House Designघ बनाने का तरीका – Ghar Banane Ka Tarika in hindiLeave a ReplyYour email address will not be published. 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Skip to conte वास्तु मेन गेट डिजाइन फोटो 2022 Main Gate Design Images(लोहा गेट) By वनिता कासनियां पंजाब ?  Hindi इस पोस्ट में मैं आपको घर के मुख्य या मेन गेट डिजाईन फोटो के बारें में बताने वाला हूँ. एक बार घर कंस्ट्रक्शन का मुख्य काम होने के बाद आपको क्रिएटिव तरीके से सोचने की जरुरत होती हैं. घर के लिए पेंट, गेट की डिजाईन को इस कद्र चुनना चाहिए कि वह घर की सुन्दरता और शोभा को बढ़ा सके. दूसरा कारन यह भी हैं कि यह आपके सपनों का एक हिस्सा होगा ,  इसलिए घर के मेन गेट की डिजाईन को बहुत अच्छी और मजबूत चुननी चाहिए. यहाँ मेन गेट डिजाइन फोटो 2022 सलेक्शन में लगभग 45 से अधिक अलग अलग सुन्दर डिजाईन का सिलेक्शन किया हैं. आप इन डिजाईन को देखकर अपने लिए कोई सुन्दर विचार निकाल सकते हैं. बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम सुन्दर मेन गेट डिजाइन फोटो 2022 अगर घर का कंस्ट्रक्शन काम पूरा हो गया हैं तो अब आपको इसकी सिक्यूरिटी और प्राइवेसी के बारें मे सोचना चाहिए. एक ऊँचा और मजबूत गेट घर को सिक्योर तो बनाता ही हैं, साथ में घर को सुन्दर भी बनाता हैं. आजकल घर का मेन गेट कई डिजाईनों में बनने लग गया हैं. ...

🌺🪴स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे🪴🌺 मोतियाबिंद के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचार क्या हैं? By वनिता कासनियां पंजाब मोतियाबिंद हमेशा के लिये निकाल जयेगा. ये सबसे असान घरीलू उपचार हैं. प्याज का रस 10 ले ग्राम अस्ली शहद 10 ग्राम भीमसेनी कपूर 2 ग्राम इन तीनों चीजों को अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भर लें। रात को सोने से पहले सलाई द्वारा आँखों में लगाने से मोतियाबिन्द का असर रुक जाता है। खान-पान का ध्यान कैसे राखे। इसमें खान-पान का ध्यान रखना भी आवश्यक है। इस इलाज के साथ फलों तथा सलाद का सेवन अधिक कीजिए क्योंकि ये प्रकृति [कुदरत] के द्वारा प्रदान किये हुए शरीर-मैल की सफ़ाई करनेवाले खाद्य पदार्थ हैं। , मैदा, चीनी, धुले हुए सफेद चावल, खीर, उबले हुए आलू, हलुआ, भारी तथा चिकनाईवाले भोजन मत खाइए। चाय, कॉफ़ी और शराब सख्त मना हैं। गोलियाँ, टॉफियाँ, चॉकलेट, अचार, मुरब्बे इत्यादि तब तक बिल्कुल मत खाइए, जब तक इलाज जारी रहे। इलाज के दौरान मांस भी छोड़ दीजिए। यदि बिल्कुल न रह सकें तो कभी-कभार खा लीजिए। पनीर, अंडे तथा बादाम लाभदायक हैं। बादाम रात को भिगो दें और सवेरे छीलकर खा लें।

  🌺🪴स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे🪴🌺 मोतियाबिंद के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचार क्या हैं?  By वनिता कासनियां पंजाब मोतियाबिंद हमेशा के लिये निकाल जयेगा. ये सबसे असान घरीलू उपचार हैं. प्याज का रस 10 ले ग्राम अस्ली शहद 10 ग्राम भीमसेनी कपूर 2 ग्राम इन तीनों चीजों को अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भर लें। रात को सोने से पहले सलाई द्वारा आँखों में लगाने से मोतियाबिन्द का असर रुक जाता है। खान-पान का ध्यान कैसे राखे। इसमें खान-पान का ध्यान रखना भी आवश्यक है। इस इलाज के साथ फलों तथा सलाद का सेवन अधिक कीजिए क्योंकि ये प्रकृति [कुदरत] के द्वारा प्रदान किये हुए शरीर-मैल की सफ़ाई करनेवाले खाद्य पदार्थ हैं।  , मैदा, चीनी, धुले हुए सफेद चावल, खीर, उबले हुए आलू, हलुआ, भारी तथा चिकनाईवाले भोजन मत खाइए । चाय, कॉफ़ी और शराब सख्त मना हैं। गोलियाँ, टॉफियाँ, चॉकलेट, अचार, मुरब्बे इत्यादि तब तक बिल्कुल मत खाइए, जब तक इलाज जारी रहे। इलाज के दौरान मांस भी छोड़ दीजिए। यदि बिल्कुल न रह सकें तो कभी-कभार खा लीजिए। पनीर, अंडे तथा बादाम लाभदायक हैं। बादाम रात को भिगो दें और सवेरे छीलकर खा लें।