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Do not get confused when you see saffron, always remember that Ravana came only after wearing saffron to kill Mother Sita, start judging the person by his past conduct and deeds rather than the clothes worn by him

भगवा देख भ्रमित मत हो जाइएगा, सदैव याद रखिएगा माता सीता का हरण करने रावण भी भगवा धारण करके ही आया था,  व्यक्ति के पूर्व के आचरण तथा कर्मों से उसको आंकना शुरू कीजिए ना कि उसके द्वारा धारण किए गए वस्त्रों व् उसके आडंबर से

चलिए अब भविष्य में भारतीय राजनीति की दिशा समझने का प्रयत्न करते हैं, 2019 के लोकसभा चुनावों से यह स्पष्ट हो चुका है की भविष्य की राजनीति में शांतिदूतों का वोट सेक्युलरिज्म के नाम पर अन्य पार्टियों को जाने के बदले अब सीधे ओवैसी को जाएगा क्योंकि वह उसे अपना मानते हैं, वे अबतक एक सधी हुई रणनीति के अंतर्गत सोच समझकर हिंदू हितों की बात करने वाली पार्टी को सत्ता से दूर रखने हेतु तथाकथित सेकुलर पार्टियों को वोट डालते आए हैं, किंतु वे अबतक ऐसा केवल इसलिए करते आ रहे थे क्यूंकि उनके पास तब उनकी अपनी वास्तविक विचारधारा को मूर्त रूप देने हेतु किसी राजनितिक दल का विकल्प नहीं था, किंतु आज वह विकल्प उनके पास ओवैसी के रूप में उपलब्ध है, अतः वे अब प्रोक्सी के माध्यम से सत्ता में भागीदारी नहीं बल्कि स्वयं सीधे सत्ता अपने हाथ में लेने हेतु और अपना मजहबी एजेंडा पूरे देश पर इंप्लीमेंट करने हेतु आगे बढ़ेंगे,

ऐसी परिस्थिति में सर्वाधिक राजनीतिक हानी देश में सेक्युलरिज्म के नामपर अपनी दुकानें चलाते आ रहे राजनीतिक दलों को होगी, और तब अपना अस्तित्व बचाने हेतु उनके पास कोर हिन्दू वोट को साधने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, किन्तु अबतक सेक्युलरिज़्म के नाम पर हिंदुओं के प्रति द्वेष, घृणा, हिकारत और सौतेला व्यवहार अपने आचरण व् वक्तव्यों से उजागर करने बाद कोर हिंदुत्व वोटबैंक उनपर भरोसा तो करने से रहा, किन्तु क्योंकि राजनीति गहरी जोड़तोड़, कूटनीति और छल और चालों का खेल है अतः सबसे उपयुक्त चाल खेली जाएगी ,  जिसमे वे अपनी प्रमुख सेक्युलर पार्टियों से अलग होकर नए राजनीतिक दलों का निर्माण कर रुख करेंगे सीधे हिंदू वोटबैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने का, 

परंतु क्योंकि हिंदुओं का एक बड़ा वर्ग अब भाजपा की तरफ झुक चुका है इसीलिए भगवा प्रतीकों को ग्लोरिफाई करती नई प्रो भगवा-प्रो हिंदुत्व वाली पार्टियां बनाई जाएंगी जिनके द्वारा बड़ी-बड़ी आक्रामक प्रचंड हिंदुत्व की बातें की जाएंगी जिससे कि किसी भी प्रकार एकजुट हो चुका हिंदुओं का वोटबैंक बांटा जा सके, 

जहां हिंदू वोटबैंक बटा सत्ता बीजेपी के हाथ से चली जाएगी और फिर पुरानी सेकुलर पार्टियां एकमुश्त और एकजुट वोट बैंक वाले ओवैसी तथा अपने द्वारा प्लांट की गई नई प्रचंड हिंदुत्व की बात करने वाली फर्जी भगवा पार्टी के माध्यम से पुनः सत्ता पर काबिज हो जाएगी, और तब शांतिदूत ओवैसी के माध्यम से सत्ता में सीधे भागीदार होंगे, और जहां शांतिदूत सत्ता में होते हैं वहां  अन्य धर्म, पंथ, सम्प्रदाय के संग क्या होता है यह जानना हो तो पारसियों का इतिहास देख लीजिए, अफ़ग़ानिस्तान के बौद्धों का इतिहास पढ़ लीजिये, वह भी न करना हो तो यज़ीदियों के विषय मे पढ़िए वह भी न करना हो तो कश्मीर घाटी, मीरपुर, मोपला, नोआखली, कैराना, कांदला के हिंदुओं के विषय मे पढ़ लीजिये अथवा एक बार दृष्टि पाकिस्तान व् बंगलादेश में हिंदुओं, सिखों व् ईसाइयों की वर्तमान हालत पर डाल लीजिये।

आज आपको अपने सिरों पर भगवा पगड़ी पहना यह जो कांग्रेस का असंतुष्ट g-23 जमावड़ा दिखा था ना, आने वाले समय में इसी g-23 के जमावड़े में कई कांग्रेस पार्टी के युवा असंतुष्ट नेता सम्मिलित होंगे, और अगले लोकसभा चुनावों में किसी भी प्रकार हिंदू वोट बैंक को बांट कर सत्ता हथियाने की अपनी रणनीति की जमीन तैयार करना शुरू करेंगे।

याद रखिएगा राजनीति में अकारण कुछ नही किया जाता और पंजाब में अकालीयों का प्रभाव कम करने हेतु एक आक्रामक खलिस्तानी आंदोलन कांग्रेस ने ही आरम्भ किया था, तथा 2014 दिल्ली में आम आदमी पार्टी को बिना शर्त समर्थन देकर सत्ता में बैठाने वाली भी कांग्रेसी ही थी

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