What does the three-word idiom of Dhaka mean? How did it originate?By social worker Vanita Kasani Punjab"Dhaka's Teen Patta" refers to Dhaka, Palash flower and Pat, leaf.As this saying goes, "Three of Dhaka
"ढाक के तीन पात' में ढाक, पलाश के फूल को और पात, पत्ता को कहा गया है।
जैसा कि यह कहावत है, "ढाक के तीन पात" इसका मतलब है:-
- हमेशा एक जैसी दशा में रहना।
- एक जैसी स्थिति जिसमें कोई बदलाव नहीं होना।
पहले मैं इस वाक्य का मतलब स्पष्ट करती हूँ।
ढाक, पलाश का एक वृक्ष होता है, जो उत्तर भारत के गाँवों में पाया जाता है। अब जंगलों के कटने के कारण इसकी संख्या न के बराबर हो गयी है।
पलाश के फूल लाल रंग के खूबसूरत फूल होते हैं, जिससे प्राकृतिक लाल रंग बनाया जाता है ।
"ढाक के तीन पात कहावत" इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ढाक के पेड़ के पत्ते ही सिर्फ “तीन की संख्या में एक साथ" होते हैं।
किसी भी टहनी पर न चार पत्ते होते हैं और न ही दो।
नीचे की तस्वीर में आप देख सकते हैं।
अब यह कहावत कैसे बनी, “ढाक के तीन पात” मैंं यह बताना चाहूँगी।
जब भी ढाक के पेड़ में पत्ते उगते थे, तो गहरे हरे रंग के होते थे। यह छतरी के आकार में बढ़ते थे; जो शीतल वृक्ष कहलाते थे।
लेकिन जब भी पेड़ पर फूल खिलने का मौसम आता था तो उस समय सारे पत्ते घरती पर गिर जाते थे। हर मौसम में ऐसा ही होता था।
जब भी पलाश के फूल खिलते थे, पत्ते वृक्ष को शीतलता प्रदान करने की जगह हमेशा धरती पर गिर जाते थे।
इसी प्रक्रिया के कारण यह कहावत बनी कि जब भी ढाक के फूलों के खिलने का मौसम आता था, इसके तीन पत्ते कभी अपने महत्व यानी शीतलता को बनाए रखने के लिए पेड़ पर नहीं रह पाए।
प्रकृति की यही नियति थी और सदा यही नियति बनी रही। ऊपर के चित्रों में खिले हुए फूल हैं पर उसमें पत्ते नहीं हैं।
इस प्रकार यह कहावत बनी कि "ढाक के तीन पात,"जिसका मतलब ढाक के पत्ते की हमेशा दयनीय दशा में बने रहना।
धरती पर गिरने के बाद भी ये पत्ते तीन की संख्या में एक साथ रहे। पत्ते कभी भी एक दूसरे से अलग नहीं हुए। इनकी स्थिति सदा एक जैसी बनी रही।
अर्थात ढाक के पत्तों की दशा में कोई बदलाव नहीं आया, चाहे यह पेड़ पर लगे हों या धरती पर गिरे हों।
इसी कारण से यह मुहावरा बन गया। ढाक के तीन पात।"
मुहावरे का प्रयोग वाक्य में इस प्रकार करते हैं।
- रमेश ने पढ़ाई करने के बाद नौकरी में तरक्की पाने के लिए बहुत मेहनत की लेकिन उसकी स्थिति हमेशा “ढाक के तीन पात”ही रही।
- जब तक मेहनत से कोई काम नहीं किया जाता नतीजा “ढाक के तीन पात” ही होता है।
- मैने अपने ड्राईवर के बेटे को पढ़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसकी रूचि नहीं रहने के कारण नतीजा” ढाक के तीन पात” ही निकला।
मैने अपने उत्तर में इस मुहावरे का अर्थ और उसकी उत्पति के बारे में बताया है जिससे इसका मतलब स्पष्ट हो गया होगा।
मुझसे इस प्रश्न पूछने के लिए धन्यवाद अमित जी।
चित्र स्रोत-गूगल।
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