क्या ताजमहल के नीचे सच में शिवलिंग है?
By वनिता कासनियां पंजाब::
एक बात तो हम सभी को माननी पड़ेगी कि ये मुग़ल थे बड़े मेहनती और बेवकूफ़। वो कैसे?
मुग़लों ने ये कैसे किया होगा?
- सबसे पहले वो हम हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को तोड़ते होंगे।
- मलबे को वहीं पड़े रहने देते होंगे।
- फिर उस मलबे के चारो तरफ़ चारदीवारी बनाते होंगे।
- फिर उसका भराव करते होंगे।
- उसके ऊपर फ़र्श बनाते होंगे।
- आखिर सबसे ऊपर अपनी मुग़लिया इमारत बनाते होंगे।
ये क्या बात कर रहे हो?
चलो मानकर देखते हैं। मान लो आज कोई एक धार्मिक स्थल को तोड़कर उसकी जगह कोई दूसरा धार्मिक स्थल बनाना चाहता है तो कैसे बनाएगा?
क्या धार्मिक स्थल को तोड़कर मलबा वहीं रहने देंगे? अवशेष तो तभी मिलेंगे।
फिर वो चारदीवारी बनवाकर और मिट्टी उसमें भरेगा?
क्या नए धार्मिक स्थल का लेवल पुराने धार्मिक स्थल की छत से शुरू होगा?
फिर तो नए धार्मिक स्थल पर जाना पहाड़ पर चढ़ाई करने जैसा होता होगा। नहीं?
अगर और ज़्यादा ख़ुदाई करने पर डायनासोर के अवशेष मिल जाए तो?
अगर मुग़लिया इमारत के नीचे मंदिर और उसके नीचे डायनासोर के अवशेष मिल जाए तो मामला उलझ जाएगा।
अब क्या होगा?
अब तो उस ज़मीन पर कायदे कानून से डायनासौर का हक़ होगा। तो उस ज़मीन पर भी और आसपास की ज़मीन पर पेड़ लगाने पड़ेंगे नहीं तो डायनासोर की पीढ़ी के साथ अन्याय होगा।
अगर ख़ुदाई करते ही जाए और ना रुके ?
अगर ख़ुदाई ना रुके तो दावे भी उसी हिसाब से बदलते जाएंगे। हर एक दो महीने में पूछना पड़ेगा कि अब क्या निकला है ख़ुदाई में और लेटेस्ट दावा किसका बनता है।
फिर क्या होगा?
होना क्या है हमें पता है।
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ठीक है करते रहो खुदाई लेकिन थोड़ा ध्यान रखना कि नीचे मामला खतरनाक है। इनर कोर तक मत पहुंच जाना।
मेंटल,आउटर कोर या इनर कोर को नहीं पता कि ख़ुदाई कौन कर रहा है। राष्ट्रवादी हो या गद्दार दोनों को ब्रह्म में विलीन कर देगी।
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