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गले का कैंसर होने पर शुरुआती तौर क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं?By वनिता कासनियां पंजाबगले का कैंसर :- कैंसर नाम सुनते ही आदमी के शरीर मे कंपकपी से उठते है,कैंसर बहुत ही जानलेवा बीमारी है, और इसका कोई इलाज नही सिवाय मृत्यु के, ऐसे लोग समझते है ,लेकिन ये पूरा सच नही है।कैंसर किसी भी व्यक्ति को हो सकते है, इसके सुरूवात में अगर आपको लक्षण मिल जाये तो इसका इलाज कुछ हद तक संभव है, जिस भी व्यक्ति को ये हो जाता है वह जीने की उम्मीद ही छोड़ देता हैं।और कई लोग तो ऐसे समझने लगते है कि जितने दिन जी रहे है उतना दिन ही बहेतर है। इसमे हम कुछ गले का कैंसर के बारे में बता रहे हैं जिससे आप जान पाएंगे, जो निम्न है:-इस प्रकार के कैंसर अरम्भ में कोई लक्षण में सर्वाधिक रूप पाया जाता है, बाद में गले में एक विशेष प्रकार के कष्ट की अनुभूति होने लगती है।उसे गले में कांटा चुभने का सा दर्द होता है, उसके बाद ही गले में खच खच पीड़ा उत्पन्न होती है। आँख में कष्ट का बोध होता है, और धीरे-धीरे सख्त पदार्थ आना संभव हो जाता है।गले में फोड़े के समान कष्ट प्रतीत होने लगता है, निगलने में कष्ट होने लगता है गग्रसिन में चुभन से अनुभव होता है, टॉक्सिस के कष्ट होता है, गला बैठ जाता है।मुंह में लार लगातार निकलते रहते हैं और रोगी केवल तरल पदार्थ के खा कर जीवन व्यतीत करने लगता है,गले के भीतर या बाहर एक सुपारी के बराबर अथवा उससे छोटे आकृति की ग्रंथि उतपन्न होता हैं।कफ के साथ अल्प मात्रा में कैंसर की प्रथम वर्ष में कभी कभी गले में रक्त स्रव होता देखा गया है जिसे रोग मसूड़ों आदि स्थान में आया रक्त स्त्राव की कल्पना कर लेते हैं।और चिकित्सा भी शुरुआत में कैंसर लोग की सुत्र पात की कल्पना नहीं कर पाते अक्सर इस प्रकार थोड़ी मात्रा में रक्त आरंभ होकर गले के भीतर एक क्षय युक्त घाव की पुष्टि कर देता है, जो बाद में जटिल कैंसर बन जाता है।इसके अलावा हम उसे निम्न रूप में देख सकते हैं।जब गले का कैंसर होता है तो उसके सबसे पहले आवाज का बदलाव होता हैं।गले में खारिश( बार- बार खिंच खिचहट) होना।गले में किसी प्रकार की गांठ या गिल्टियों जैसा अनुभव का दिखाई देना।गले मे सूजन जैसा होना।गले में दर्द होना।बातचीत करने में दिक्कत होना।खाना खाने अथवा भोजन को निगलने में कष्ट होना।गले के कैंसर में सुपाड़ी के आकार के भोजन को भी निगलने में परेशानी होती हैं।बचाव:-अगर आपको इसमे से किसी भी लक्षण से मिलते है तो तुरंत जा कर आपने नजदीक चिकित्सा को दिखाए।किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन से परहेज करें,सिगरेट न पीयें।शराब न पिएं।विटामिन की पर्याप्त मात्रा में सेवन करे।संतुलन भोजन करें।Na, सोडियम की पर्याप्त मात्रा में सेवन करे।इलाज:- इसके इलाज निम्न से सम्भव हैओपेशन:- ऐसे भी कुछ केस होते हैं, और यह पूरी तरह पता चल जाता है किआ गले मे कैंसर है तो डॉक्टर को मरीज की सर्जरी करना पड़ती है। अगर मरीज़ का ट्यूमर छोटा है, तो उसे एंडोस्कोपिक की मदद से हटा दिया जाता है। लेकिन मरीज़ की हालत ज़्यादा गंभीर है तो उसके गले के भाग को निकालना पड़ता है।2.कीमोथेरेपी-कैसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए आपके डॉक्टर ड्रग्स का उपयोग करते है।3. रेडियेशन थेरीपी :- गले का कैंसर का इलाज से भी किया जा सकता हैं।

गले का कैंसर होने पर शुरुआती तौर क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं?

By वनिता कासनियां पंजाब

गले का कैंसर :- कैंसर नाम सुनते ही आदमी के शरीर मे कंपकपी से उठते है,कैंसर बहुत ही जानलेवा बीमारी है, और इसका कोई इलाज नही सिवाय मृत्यु के, ऐसे लोग समझते है ,लेकिन ये पूरा सच नही है।

कैंसर किसी भी व्यक्ति को हो सकते है, इसके सुरूवात में अगर आपको लक्षण मिल जाये तो इसका इलाज कुछ हद तक संभव है, जिस भी व्यक्ति को ये हो जाता है वह जीने की उम्मीद ही छोड़ देता हैं।

और कई लोग तो ऐसे समझने लगते है कि जितने दिन जी रहे है उतना दिन ही बहेतर है। इसमे हम कुछ गले का कैंसर के बारे में बता रहे हैं जिससे आप जान पाएंगे, जो निम्न है:-

इस प्रकार के कैंसर अरम्भ में कोई लक्षण में सर्वाधिक रूप पाया जाता है, बाद में गले में एक विशेष प्रकार के कष्ट की अनुभूति होने लगती है।

उसे गले में कांटा चुभने का सा दर्द होता है, उसके बाद ही गले में खच खच पीड़ा उत्पन्न होती है। आँख में कष्ट का बोध होता है, और धीरे-धीरे सख्त पदार्थ आना संभव हो जाता है।

गले में फोड़े के समान कष्ट प्रतीत होने लगता है, निगलने में कष्ट होने लगता है गग्रसिन में चुभन से अनुभव होता है, टॉक्सिस के कष्ट होता है, गला बैठ जाता है।

मुंह में लार लगातार निकलते रहते हैं और रोगी केवल तरल पदार्थ के खा कर जीवन व्यतीत करने लगता है,गले के भीतर या बाहर एक सुपारी के बराबर अथवा उससे छोटे आकृति की ग्रंथि उतपन्न होता हैं।

कफ के साथ अल्प मात्रा में कैंसर की प्रथम वर्ष में कभी कभी गले में रक्त स्रव होता देखा गया है जिसे रोग मसूड़ों आदि स्थान में आया रक्त स्त्राव की कल्पना कर लेते हैं।

और चिकित्सा भी शुरुआत में कैंसर लोग की सुत्र पात की कल्पना नहीं कर पाते अक्सर इस प्रकार थोड़ी मात्रा में रक्त आरंभ होकर गले के भीतर एक क्षय युक्त घाव की पुष्टि कर देता है, जो बाद में जटिल कैंसर बन जाता है।

इसके अलावा हम उसे निम्न रूप में देख सकते हैं।

जब गले का कैंसर होता है तो उसके सबसे पहले आवाज का बदलाव होता हैं।

गले में खारिश( बार- बार खिंच खिचहट) होना।

गले में किसी प्रकार की गांठ या गिल्टियों जैसा अनुभव का दिखाई देना।

गले मे सूजन जैसा होना।

गले में दर्द होना।

बातचीत करने में दिक्कत होना।

खाना खाने अथवा भोजन को निगलने में कष्ट होना।

गले के कैंसर में सुपाड़ी के आकार के भोजन को भी निगलने में परेशानी होती हैं।


बचाव:-

अगर आपको इसमे से किसी भी लक्षण से मिलते है तो तुरंत जा कर आपने नजदीक चिकित्सा को दिखाए।

किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन से परहेज करें,

सिगरेट न पीयें।

शराब न पिएं।

विटामिन की पर्याप्त मात्रा में सेवन करे।

संतुलन भोजन करें।

Na, सोडियम की पर्याप्त मात्रा में सेवन करे।

इलाज:- इसके इलाज निम्न से सम्भव है

  1. ओपेशन:- ऐसे भी कुछ केस होते हैं, और यह पूरी तरह पता चल जाता है किआ गले मे कैंसर है तो डॉक्टर को मरीज की सर्जरी करना पड़ती है। अगर मरीज़ का ट्यूमर छोटा है, तो उसे एंडोस्कोपिक की मदद से हटा दिया जाता है। लेकिन मरीज़ की हालत ज़्यादा गंभीर है तो उसके गले के भाग को निकालना पड़ता है।

2.कीमोथेरेपी-कैसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए आपके डॉक्टर ड्रग्स का उपयोग करते है।

3. रेडियेशन थेरीपी :- गले का कैंसर का इलाज से भी किया जा सकता हैं।

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